Friday, August 5, 2011

Sher... कुछ शेर....

Sher... कुछ शेर....

This post is to introduce you to some of the finest 'sher' i had come across... just read and enjoy!!! After reading every 'Sher' i know what will be your reaction "क्या बात है!"...

१) हमको उनसे है वफ़ा की उम्मीद,
जो नही जानते की वफ़ा क्या है?- गालिब

२) रगो मै दौडते फ़िरने के हम नही कायल (Fan of),
जब आँख ही से ना टपका तो लहू(Blood) क्या है?- गालिब

३) किसी खँजर किसी तलवार को तक्लीफ़ ना दो,
मरनेवाला तो फ़कत बात से मर जायेगा- फ़राज

४) सुबह से शाम बोज़ ढोता हुआ,
अपनी ही लाश का खुद मज़ार (Tomb) आदमी- शहरयार


५) क्या कोई नयी बात नज़र आती है हममे?
आईना हमे देखके हैरान सा क्युँ है?- शहरयार


६) हमने तो यहाँ तक दुवाये की है,
उन्हे हमारे जैसा एक यार और हो- बशिर बद्र

७) चरागा जलाकर दिल बेहेला रहे हो क्या दुनियावलो?
अँधेरा लाख रोशन हो, उजाला फ़िर उजाला है - सुफ़ी प्रार्थना

८) आपके खातिर अगर हम लूट भी ले आँसमान,
क्या मिलेगा चँद चमकीलेसे शीशे तोडकर?

चाँद चुभ जायेगा उँगली मे तो खुँन निकल आयेगा- गुलज़ार

९) दिल मै संभालता हुँ गम जैसे जेवर संभालता है कोई,
आईनेमे देखा तो पता चला, हमें भी पेहेचानता है कोई- गुलज़ार

१०) Amir Khusrau writes about his own poetry: (One of my favoirites)

खुसरौ दरिया प्रीत का उलटी वा की धार,
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार- आमिर खुसरौ

(He says, Amir Khusarau's poetry is one such ocean of love which flows in a reverse direction, if you try to swim in it yu will drown and if u intend to get drowned you will reach the other end)


1 comment:

  1. वाह! वाह!
    I will add one more from Ghalib. It is a famous song as well.

    कोई मेरे दिल से पूछे, तेरे तीर-ए-नीमकश को,
    ये खलिश कहाँ से होती, जो जिगर के पर होता...

    यह न थी हमारी किस्मत...

    - ग़ालिब

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