Monday, April 22, 2013

कुछ तो मजबुरीया रही होगी


कुछ तो मजबुरीया रही होगी
युहीं कोई बेवफ़ा नही होता

गुफ़्तगू उनसे करते है रोज़
मुद्दतो सामना नही होता

जी बहोत चाहता है सच बोले
क्या करे हौसला नही होता

रातका इंतज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या क्या नही होता

-बशिर बद्र

आज थोडा

आज थोडा जी ही लेते है...
ख्वाब थोडे पी ही लेते है...

दिल की है ऑंखे
ऑंखोमें मंज़ील
मंज़ील में राहें
राहो पे मुश्कील
मुश्कीलोको थोडा सीही लेते है...

दिल में है तू
तुज़में है प्यार
प्यार में है रब
रब का है संसार
संसार में बंदगी भर ही देते है...

दुनियामें लोग
लोगोका काम
काम में दरारे
दरारो में हार
दोस्त बनाके हाथ मिलाही लेते है...

लोगोके रिश्ते
रिश्तो के नाम
नाम से वजूद
रिश्ता ही पेहेचान
रिश्तोको आज पेहेचान ही लेते है...

-प्रथमेश किशोर पाठक

जीने दे

आज फ़िर तनहा बैठा हू में
ये सोचके की बुलंदियोका दामन कब थामूँगा?
वो जोश बिखर गया ज़िंदगी के पल्को पे
वो ज़ज़्बा जो कभी हुआ करता था
सोचने को भी बचा कुछ नही, इतना सोचके भी क्या करें हम
मौत के तरफ हें अपने भी नक्षे कदम
आज मुझे जीने दे...

कल की याद अभी भी जवान है
उन पलों मै मुझे भी कुछ खूबी थी
साथ मै कुछ खामियाँ भी , उन्की भी याद ताज़ी है
चोट कुछ गेहेरे थे, कुछ अपनोके, कुछ परायें
राह भी दिखायी उन्ही तज़ुर्बोनें, आज शाम के यही खयाँलात है
फ़िर भी क्यूँ ये यादों की बरसात है इतनी तेज?
रहने दे मुझे,
आज मुझे जीने दे...

आएगी और भी ज़िंदगी, और काफ़ी कुछ देखना बाकी है
कुछ आरज़ू है जो अबतक नाकाम हैं, उनको भी पूरी करनी है
हक़ीक़त मेरी कुच सीमटी सी है तुझ में,
पर उसकी रहनुमायी भी ज़रूरी है
ख्वाब कई देखे हुए है मैने,
कुछ सोच के टुकडे, कुछ ज़रूरतें हैं

यकीन है खुदपे मुझे, के हासिल तो काफ़ी कर लूँगा मै
लेकीन ये ऐसा क्या थपथपाना, ऐ दिल
आज मुझे जीने दे...

- पार्थजीत