Monday, April 22, 2013

कुछ तो मजबुरीया रही होगी


कुछ तो मजबुरीया रही होगी
युहीं कोई बेवफ़ा नही होता

गुफ़्तगू उनसे करते है रोज़
मुद्दतो सामना नही होता

जी बहोत चाहता है सच बोले
क्या करे हौसला नही होता

रातका इंतज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या क्या नही होता

-बशिर बद्र

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