(Hazarat Amir Khusrau, one of the greatest poets India could have! A poet, musician, singer, philosopher and sufi saint of the 13th Century. )
· खुसरो बाज़ी प्रेम की मैं खेलूँ पी के संग।
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।।
· उज्ज्वल बरन अधीन तन एक चित्त दो ध्यान।
देखत में तो साधु है पर निपट पाप की खान।।
· साजन ये मत जानियो तोहे बिछड़त मोहे को चैन।
दिया जलत है रात में और जिया जलत बिन रैन।।
· रैन बिना जग दुखी और दुखी चन्द्र बिन रैन।
तुम बिन साजन मैं दुखी और दुखी दरस बिन नैंन।।
· आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ।
न मैं देखूँ और न को, न तोहे देखन दूँ।|
-अमीर ख़ुसरो
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।।
देखत में तो साधु है पर निपट पाप की खान।।
दिया जलत है रात में और जिया जलत बिन रैन।।
तुम बिन साजन मैं दुखी और दुखी दरस बिन नैंन।।
न मैं देखूँ और न को, न तोहे देखन दूँ।|
No comments:
Post a Comment