Wednesday, April 8, 2015

कतील शिफ़ाई

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सारी बस्तीमे ये जादू नज़र आये मुझको
जो दरीचा भी खुले तू नज़र आये मुझको
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जब तसव्वुर मेरा चुपके से तुझे छू आये
देर तक अपने बदने से तेरी खुशबू आये
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सदियोका रत जगा मेरी रातों में आ गया
में एक हसीन शक्स की बातों में आ गया
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रात के सन्नाटेंमें हमने क्या क्या धोखे खाये है
अपना ही जब दिल धडका हम समझे वो आये है
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में घरसे तेरी तमन्ना पेहेन के जब निकलू
बरहना शेहेर मे कोई नज़र ना आये मुझे
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वो मेरा दोस्त है सारे जहॉं को है मालूम
दगा करे वो किसीसे तो शर्म आये मुझे

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