Sunday, November 4, 2012

थोडेसे करोडो सालोमें



थोडेसे करोडो सालोमें
सूरज की आग बुज़ेगी जब,
और राख उडेगी सूरजसे
जब कोई चाँद डुबेगा
और कोई जमिन उभरेगी
तब एक बुज़े कोयलेसा तुकडा ये जमिन का घुमेगा
भटका भटका...
मध्ध्म मध्ध्म खाकिस्त्री रोशनी में...
मएं सोचता हूँ उस वक्त अगर
कागज़ पर लिखी एक नज़्म कही
उडते उडते कही सूरज में गिरे
और सूरज फ़िरसे जलने लगे

- गुलज़ार

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